खण्डहर हो जाएगे एक दिन जब
तुम आना नंगी हथेलियों से, तारीख महसूस करने।
छूना खुली हथेलियों से
और बंद आँखो से देखना
तारिख तुम्हारी और मेरी और हमारे गिर्द घुमते जहां की.
फिर तुमको भी महसूस होगा
कोई फर्क नहीं पड़ता मिलने से, मेरे और तुम्हारे
ये सब कुछ जो बुना हुआ है
सारे ताने-बाने सब मिल कर
बस हमको ही बुनते है
तुम्हारा दामन, और मेरा साफा।
तुम आना नंगी हथेलियों से, तारीख महसूस करने।
छूना खुली हथेलियों से
और बंद आँखो से देखना
तारिख तुम्हारी और मेरी और हमारे गिर्द घुमते जहां की.
फिर तुमको भी महसूस होगा
कोई फर्क नहीं पड़ता मिलने से, मेरे और तुम्हारे
ये सब कुछ जो बुना हुआ है
सारे ताने-बाने सब मिल कर
बस हमको ही बुनते है
तुम्हारा दामन, और मेरा साफा।
©कलमबाज़
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